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बुधवार, 19 अक्टूबर 2016

मरने के बाद भी जिन्दा हो जाते है इस मंदिर में -In this temple of the dead become alive -

 Rahiskhan     यूनिवर्स रहस्य, रोचक जानकारी, विचित्र दुनिया   


एक मन्दिर जहां मरा हुआ भी हो जाता है जिन्दा-
मरने के बाद भी जिन्दा हो जाते है इस मंदिर में -In this temple of the dead become alive -
नई दिल्ली। हमारे देश में कई चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर है, जहां लोगों की बड़ी से बड़ी समस्याओं का हल चुटकियों में हो जाता है। कई मंदिर तो इतने चमत्कारी हंै कि लोग दूर-दूर से यहां मनौती मांगने आते हैं। कहते हैं कि इन मंदिरों में सच्चे मन से की गई प्रार्थना जरूर पूरी होती है। ऐसा ही एक चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर है जहां किसी व्यक्ति के शव को लेकर जाया जाए तो उसकी आत्मा उस शव में पुन: प्रवेश कर जाती है और वह इंसान जीवित हो उठता है।
खुदाई में मिले हजारों शिवलिंग-
प्रकृति की वादियों में बसा यह गांव देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लाखामंडल नामक स्थान पर है। यह मंदिर यमुना नदी की तट पर बर्नीगाड़ नामक जगह से सिर्फ 4-5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। समुद्र तल से इस स्थान की ऊंचाई लगभग 1372 मीटर है। दिल को लुभाने वाली यह जगह गुफाओं और भगवान शिव के मंदिर के प्राचीन अवशेषों से घिरा हुआ है। यहां पर खुदाई करते वक्त विभिन्न आकार के और विभिन्न ऐतिहासिक काल के हजारों शिवलिंग मिले हैं।
युधिष्ठिर ने स्थापित किया था शिवलिंग-
माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवों को जीवित आग में भस्म करने के लिए उनके चचेरे भाई कौरवों ने यहीं लाक्षागृह का निर्माण करवाया था। ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान इस स्थान पर स्वयं युधिष्ठिर ने शिवलिंग को स्थापित किया था। इस शिवलिंग को आज भी महामंडेश्वर नाम से जाना जाता है। जहां युधिष्ठिर ने शिवलिंग स्थापित किया था वहां एक बहुत खूबसूरत मंदिर बनाया गया था। शिवलिंग के ठीक सामने दो द्वारपाल पश्चिम की तरफ मुंह करके खड़े हुए दिखते हैं।

जीवित होते ही लेता है भगवान का नाम-
ऐसी मान्यता है कि मंदिर में अगर किसी शव को इन द्वारपालों के सामने रखकर मंदिर के पुजारी उस पर पवित्र जल छिड़कें तो वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए पुन: जीवित हो उठता है। जीवित होने के बाद वह भगवान का नाम लेता है और उसे गंगाजल प्रदान किया जाता है। गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है।
बना हुआ है रहस्य
लेकिन इस बात का रहस्य क्या है यह आज तक कोई नहीं जान पाया। इस मंदिर के पीछे दो द्वारपाल स्थित हैं, जिनमें से एक का हाथ कटा हुआ है। अब ऐसा क्यों हैं यह बात आज तक एक रहस्य ही बना हुआ है।
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