E = mc2 सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत को समझे आसानी से-General theory of relativity, understand easily
उनके के सापेक्षता के सिद्धांत की मदद से आइंस्टीन ने यह अनुमान लगाया था की ब्रह्माण्ड का कोई निश्चित दर नहीं हैं. ब्रह्माण्ड की सभी चीज़े एकदूसरे के सापेक्ष बढ़ रही हैं मतलब की एकदूसरे से सापेक्ष मात्र में दूर जा रही हैं. इसलिए इसे सामान्य सापेक्षता का सिध्धांत कहाँ जाता हैं.
समय हर किसी के लिए एक ही दर पर नहीं चलता (बीतता) हैं. तेजी से चल रहा (तेजी से मूवमेंट कर रहा) एक पर्यवेक्षक किसी स्थिर पर्यवेक्षक के मुकाबले समय को थोडा धीरे से बीतता हुआ महसूस करेंगा. इस घटना को समय का फैलाव (time dilation) कहा जाता है. उदहारण के लिए आप अपने हाथ की घडी को हिलाएँगे तो देखेंगे की तब उसका सेकंड कांटा एक सेकंड बिताने में थोडा ज्यादा वक़्त लेता हैं. इससे हम कह सकते हैं की मूवमेंट करती हुई घडी स्थिर घड़ी के मुकाबले अधिक धीरे से चलती हैं.
एक तेजी से चल रही वस्तु उसकी गति की दिशा में किसी धीरे से चल रही वस्तु के सापेक्ष में थोड़ी छोटी दिखाई देती हैं. वैसे यह असर काफी सूक्ष्म होता हैं. जब तक वस्तु गति प्रकाश की गति के करीब नहीं पहुंचती तब तक यह घटना दिखाई नहीं देती.
द्रव्यमान और ऊर्जा एक ही चीज़ के विभिन्न अभिव्यक्तियाँ हैं. आइंस्टीन के प्रसिद्ध समीकरण E = mc2, का मतलब कुछ इस तरह हैं, जहाँ E = ऊर्जा, m = द्रव्यमान और c = प्रकाश की गति. यहीं चीज़ ही एक परमाणु विस्फोट से निकलती हुई ऊर्जा की एक बड़ी राशि की रिहाई के लिए खुद को सक्षम बनाती है.
E = mc2 के एक परिणाम स्वरुप, एक तेजी से चलती हुई चीज़ का वजन धीमी गति से चलती हुई वस्तु के सापेक्ष में ज्यादा मालूम पड़ता हैं. यह इसलिए क्योंकि, वस्तु की गति बढ़ने के साथ ही उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है और इसलिए उसका वजन भी बढ़ जाता हैं (मास = ऊर्जा).
आइंस्टीन कहते थे की वजन में वृध्धि ही एक कारण हैं, की पदार्थ प्रकाश की गति से ज्यादा तेजी से गति नहीं कर सकता. अगर किसी चीज़ का वजन उसकी गति से साथ बढ़ता ही जाता हैं तो प्रकाश की गति तक पहोंचने पर वह अनंत हो जाएगा, और अनंत वजन को स्थानांतरित करने के लिए अनंत ऊर्जा की आवश्यकता होती है. इसलिए यह असंभव है.
अंतरिक्ष और समय, एक सत्य का हिस्सा हैं जिसे space-time कहाँ जाता हैं. आइंस्टीन के गणित के मुताबिक अंतरिक्ष के तीन आयाम है, और चौथा आयाम समय है. हाल के सिद्धांतों के अनुमान के मुताबिक अतिरिक्त आयाम हम अनुभव नहीं करते हैं. space-time को हम फैब्रिक के एक ग्रीड के स्वरुप में सोच सकते हैं. बड़े पैमाने पर मास की उपस्थिति space-time को विकृत करती हैं. इसलिए रबड़ शीट मॉडल एक लोकप्रिय उदहारण है.
यह सिध्धांत बताता हैं की गुरुत्वाकर्षण कहाँ से आता है? रबड़ शीट मॉडल से पता चलता हैं की गुरुत्वाकर्षण अंतरिक्ष में रही भरी चीजों की वजह से पैदा होता हैं, जो space-time को बेंड करती हैं या तान देती हैं (warping). और ऐसे ताने (warp) को गुरुत्वीय कुंवा (gravity well) कहा जाता हैं. परिक्रमा करती चीज़े कम से कम और ऊर्जा की कम से कम राशि की आवश्यकता हो ऐसे मार्ग का अनुसरण करती हैं. जैसे की हमारे सूरज के आसपास घूमते हुए ग्रह.
गुरुत्वाकर्षण प्रकाश को मोड़ता या झुकता है. इस घटना को गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग कहा जाता है. जब हम एक दूर की आकाशगंगा का निरीक्षण करते हैं, तब पृथ्वी और आकाशगंगा के बीच की चीजों का गुरुत्वाकर्षण प्रकाश की किरणों को अलग अलग रास्तो में मोड़ देता हैं. जब प्रकाश दूरबीन तक पहुँचता है, तब हमें एक ही आकाशगंगा की अनेक छवि दिखाई देती हैं.
उनके के सापेक्षता के सिद्धांत की मदद से आइंस्टीन ने यह अनुमान लगाया था की ब्रह्माण्ड का कोई निश्चित दर नहीं हैं. ब्रह्माण्ड की सभी चीज़े एकदूसरे के सापेक्ष बढ़ रही हैं मतलब की एकदूसरे से सापेक्ष मात्र में दूर जा रही हैं. इसलिए इसे सामान्य सापेक्षता का सिध्धांत कहाँ जाता हैं.
समय हर किसी के लिए एक ही दर पर नहीं चलता (बीतता) हैं. तेजी से चल रहा (तेजी से मूवमेंट कर रहा) एक पर्यवेक्षक किसी स्थिर पर्यवेक्षक के मुकाबले समय को थोडा धीरे से बीतता हुआ महसूस करेंगा. इस घटना को समय का फैलाव (time dilation) कहा जाता है. उदहारण के लिए आप अपने हाथ की घडी को हिलाएँगे तो देखेंगे की तब उसका सेकंड कांटा एक सेकंड बिताने में थोडा ज्यादा वक़्त लेता हैं. इससे हम कह सकते हैं की मूवमेंट करती हुई घडी स्थिर घड़ी के मुकाबले अधिक धीरे से चलती हैं.
एक तेजी से चल रही वस्तु उसकी गति की दिशा में किसी धीरे से चल रही वस्तु के सापेक्ष में थोड़ी छोटी दिखाई देती हैं. वैसे यह असर काफी सूक्ष्म होता हैं. जब तक वस्तु गति प्रकाश की गति के करीब नहीं पहुंचती तब तक यह घटना दिखाई नहीं देती.
द्रव्यमान और ऊर्जा एक ही चीज़ के विभिन्न अभिव्यक्तियाँ हैं. आइंस्टीन के प्रसिद्ध समीकरण E = mc2, का मतलब कुछ इस तरह हैं, जहाँ E = ऊर्जा, m = द्रव्यमान और c = प्रकाश की गति. यहीं चीज़ ही एक परमाणु विस्फोट से निकलती हुई ऊर्जा की एक बड़ी राशि की रिहाई के लिए खुद को सक्षम बनाती है.
E = mc2 के एक परिणाम स्वरुप, एक तेजी से चलती हुई चीज़ का वजन धीमी गति से चलती हुई वस्तु के सापेक्ष में ज्यादा मालूम पड़ता हैं. यह इसलिए क्योंकि, वस्तु की गति बढ़ने के साथ ही उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है और इसलिए उसका वजन भी बढ़ जाता हैं (मास = ऊर्जा).
आइंस्टीन कहते थे की वजन में वृध्धि ही एक कारण हैं, की पदार्थ प्रकाश की गति से ज्यादा तेजी से गति नहीं कर सकता. अगर किसी चीज़ का वजन उसकी गति से साथ बढ़ता ही जाता हैं तो प्रकाश की गति तक पहोंचने पर वह अनंत हो जाएगा, और अनंत वजन को स्थानांतरित करने के लिए अनंत ऊर्जा की आवश्यकता होती है. इसलिए यह असंभव है.
अंतरिक्ष और समय, एक सत्य का हिस्सा हैं जिसे space-time कहाँ जाता हैं. आइंस्टीन के गणित के मुताबिक अंतरिक्ष के तीन आयाम है, और चौथा आयाम समय है. हाल के सिद्धांतों के अनुमान के मुताबिक अतिरिक्त आयाम हम अनुभव नहीं करते हैं. space-time को हम फैब्रिक के एक ग्रीड के स्वरुप में सोच सकते हैं. बड़े पैमाने पर मास की उपस्थिति space-time को विकृत करती हैं. इसलिए रबड़ शीट मॉडल एक लोकप्रिय उदहारण है.
यह सिध्धांत बताता हैं की गुरुत्वाकर्षण कहाँ से आता है? रबड़ शीट मॉडल से पता चलता हैं की गुरुत्वाकर्षण अंतरिक्ष में रही भरी चीजों की वजह से पैदा होता हैं, जो space-time को बेंड करती हैं या तान देती हैं (warping). और ऐसे ताने (warp) को गुरुत्वीय कुंवा (gravity well) कहा जाता हैं. परिक्रमा करती चीज़े कम से कम और ऊर्जा की कम से कम राशि की आवश्यकता हो ऐसे मार्ग का अनुसरण करती हैं. जैसे की हमारे सूरज के आसपास घूमते हुए ग्रह.
गुरुत्वाकर्षण प्रकाश को मोड़ता या झुकता है. इस घटना को गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग कहा जाता है. जब हम एक दूर की आकाशगंगा का निरीक्षण करते हैं, तब पृथ्वी और आकाशगंगा के बीच की चीजों का गुरुत्वाकर्षण प्रकाश की किरणों को अलग अलग रास्तो में मोड़ देता हैं. जब प्रकाश दूरबीन तक पहुँचता है, तब हमें एक ही आकाशगंगा की अनेक छवि दिखाई देती हैं.