WHAT IS A SHADOW?
पहली बार सुनने पर तो यह एक मूर्खतापूर्ण सवाल लग सकता है. मेरा मतलब परछाई को कभी किसी चीज़ के ऊपर रखकर उसका वजन नहीं मापा जा सकता हैं. लेकिन रौशनी जो हमारे शरीर पर पड़ती हैं, जिसकी वजह से हमारी परछाईं बनती हैं, उसे तोला जा सकता हैं. क्योंकि परछाई अंधकार नहीं हैं, वह रौशनी की कम मात्रा हैं, हम सब जानते हैं की प्रकाश के अन्दर उर्जा होती हैं. जब प्रकाश किसी चीज़ से टकराता हैं तब वह चीज़ को हल्का सा धक्का भी देता हैं. पृथ्वी की सतह पर जब सूरज की रौशनी टकराती हैं तब हर वर्ग इंच पर एक पाउंड के एक अरब वे हिस्से जितने बल से धक्का लगता हैं, जो सामान्य रूप से कुछ भी नहीं हैं.
शिकागो शहर में जिस दिन धुप निकली हो उस दिन उसका वजन 300 पाउंड ज्यादा होता हैं. इसलिए क्योंकी सूरज की रौशनी उस पर गिर रही हैं, उसे धकेल रही हैं. बाहरी अंतरिक्ष में जहाँ पर सौर हवाएं पृथ्वी के वायुमंडल या चुंबकीय क्षेत्र से फ़िल्टर नहीं होती, वहाँ इसकी मात्रा में बढौतरी मिल सकती हैं. एक अंतरिक्षयान जो पृथ्वी से मंगल की यात्रा कर रहा हैं, उसे वहाँ जाते हुए 1000 किमी तक के रस्ते पर प्रकाश का धक्का लगेगा. इसलिए इन चीजों का मंगल ग्रह की यात्रा करने में सकारात्मक असर होता है.
इसे मापना तो बहुत मुश्किल हैं पर हम कह सकते हैं की जिन क्षेत्रों पर परछाई होती हैं उन क्षेत्रो पर बिना परछाई वाले क्षेत्रों के मुकाबले प्रकाश द्वारा दिया गया धक्का कम होता हैं. इसलिए बिना परछाई वाले क्षेत्रों की तुलना में परछाई वाले क्षेत्रों का वजन कम होता हैं. 3 खगोलीय पिंड जो पृथ्वी की सतह पर छाया डाल सकते हैं जो मनुष्य के देखने के लिए पर्याप्त प्रकाशित होते हैं. एक स्पष्ट रूप से सूर्य है, और दूसरा चन्द्र हैं. लेकिन तीसरे क्या है? तीसरा हैं शुक्र. Pete Lawrence ने रात्रि के आकाश की जांच की और पता लगाया की रात के दौरान परछाईओं के लिए कुछ हिस्सा शुक्र का भी जिम्मेदार होता हैं.
किसी भी चीज़ को प्रकाश का धक्का लगने की गति तत्काल नहीं हैं और निश्चित रूप से वह प्रकाश की गति भी नहीं हैं. लेकिन प्रकाश आप को धक्का दे सकता हैं. यानी उसके पास किसी तरह का बल या वजन हैं. मतलब जब आप पर किसी भी चीज़ की रौशनी गिर रही हैं तो आपका वजन ज्यादा होगा और रौशनी नहीं गिर रही या आप अंधेरे में हैं तो आप का वजन कम हो जाएगा. लेकिन आप उसे मापने के लिए मत बैठ जाना.
पहली बार सुनने पर तो यह एक मूर्खतापूर्ण सवाल लग सकता है. मेरा मतलब परछाई को कभी किसी चीज़ के ऊपर रखकर उसका वजन नहीं मापा जा सकता हैं. लेकिन रौशनी जो हमारे शरीर पर पड़ती हैं, जिसकी वजह से हमारी परछाईं बनती हैं, उसे तोला जा सकता हैं. क्योंकि परछाई अंधकार नहीं हैं, वह रौशनी की कम मात्रा हैं, हम सब जानते हैं की प्रकाश के अन्दर उर्जा होती हैं. जब प्रकाश किसी चीज़ से टकराता हैं तब वह चीज़ को हल्का सा धक्का भी देता हैं. पृथ्वी की सतह पर जब सूरज की रौशनी टकराती हैं तब हर वर्ग इंच पर एक पाउंड के एक अरब वे हिस्से जितने बल से धक्का लगता हैं, जो सामान्य रूप से कुछ भी नहीं हैं.
शिकागो शहर में जिस दिन धुप निकली हो उस दिन उसका वजन 300 पाउंड ज्यादा होता हैं. इसलिए क्योंकी सूरज की रौशनी उस पर गिर रही हैं, उसे धकेल रही हैं. बाहरी अंतरिक्ष में जहाँ पर सौर हवाएं पृथ्वी के वायुमंडल या चुंबकीय क्षेत्र से फ़िल्टर नहीं होती, वहाँ इसकी मात्रा में बढौतरी मिल सकती हैं. एक अंतरिक्षयान जो पृथ्वी से मंगल की यात्रा कर रहा हैं, उसे वहाँ जाते हुए 1000 किमी तक के रस्ते पर प्रकाश का धक्का लगेगा. इसलिए इन चीजों का मंगल ग्रह की यात्रा करने में सकारात्मक असर होता है.
इसे मापना तो बहुत मुश्किल हैं पर हम कह सकते हैं की जिन क्षेत्रों पर परछाई होती हैं उन क्षेत्रो पर बिना परछाई वाले क्षेत्रों के मुकाबले प्रकाश द्वारा दिया गया धक्का कम होता हैं. इसलिए बिना परछाई वाले क्षेत्रों की तुलना में परछाई वाले क्षेत्रों का वजन कम होता हैं. 3 खगोलीय पिंड जो पृथ्वी की सतह पर छाया डाल सकते हैं जो मनुष्य के देखने के लिए पर्याप्त प्रकाशित होते हैं. एक स्पष्ट रूप से सूर्य है, और दूसरा चन्द्र हैं. लेकिन तीसरे क्या है? तीसरा हैं शुक्र. Pete Lawrence ने रात्रि के आकाश की जांच की और पता लगाया की रात के दौरान परछाईओं के लिए कुछ हिस्सा शुक्र का भी जिम्मेदार होता हैं.
किसी भी चीज़ को प्रकाश का धक्का लगने की गति तत्काल नहीं हैं और निश्चित रूप से वह प्रकाश की गति भी नहीं हैं. लेकिन प्रकाश आप को धक्का दे सकता हैं. यानी उसके पास किसी तरह का बल या वजन हैं. मतलब जब आप पर किसी भी चीज़ की रौशनी गिर रही हैं तो आपका वजन ज्यादा होगा और रौशनी नहीं गिर रही या आप अंधेरे में हैं तो आप का वजन कम हो जाएगा. लेकिन आप उसे मापने के लिए मत बैठ जाना.