पदार्थ…हम पदार्थ को परमाणु, सितारे, आकाशगंगाए, ग्रह, पेड़, चट्टाने और खुद हमारे शरीर के रूप में जानते हैं. समग्र ब्रह्माण्ड में केवल 5% जितना ही पदार्थ मौजूद हैं. बाकि 25% काला पदार्थ (Dark Matter) और 70% काली ऊर्जा (Dark Energy) है. यह दोनों ही अद्रश्य हैं. यह अजीब बात हैं क्योंकि जो ब्रह्माण्ड हम देखते और महसूस करते हैं वह वास्तव में वास्तविकता का केवल छोटा सा अंश भर हैं. तो चलिए आज की इस पोस्ट में जानते हैं डार्क मेटर और डार्क एनर्जी के बारे में.
हम जानते हैं की श्याम पदार्थ केवल बिना सितारों वाला एक बादल नहीं हैं, क्योंकि वह किसी प्रकार के कणों का उत्सर्जन करता हैं जिनके बारे में हम पता लगा सकते हैं. श्याम पदार्थ एंटीमेटर भी नहीं हैं, क्योंकि एंटीमेटर सामान्य पदार्थ के साथ प्रतिक्रिया कर के अनूठे प्रकार के गामा किरणों का उत्पादन करता हैं. डार्क मेटर ब्लैक होल से भी नहीं बना हैं, क्योंकि यह श्याम पदार्थ हर जगह पर बिखरा हुआ होता हैं.
अधिकांश, हम तिन बातें निश्चित तौर पर जानते हैं,
1). वहां पर कुछ तो हैं.
2). वह गुरुत्वाकर्षण के साथ क्रिया-प्रतिक्रिया करता हैं.
3). वह बहुत सारा हैं.
डार्क मेटर शायद एक जटिल और अनोखे कण से बना है, जो किसी भी तरह के पदार्थ और प्रकाश के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता हैं. लेकिन इसके बारे में हम अभी पक्के तौर पर नहीं जानते हैं.
डार्क एनर्जी (श्याम ऊर्जा) और भी अजीब और रहस्यमयी है. हम ना ही इसका पता लगा सकते हैं, ना ही इसको माप सकते हैं और ना ही इसको टेस्ट कर सकते हैं. लेकिन हम बहुत ही स्पष्ट रूप से इसके प्रभाव देख सकते हैं. 1929 में, एडवर्ड हबल ने जांच की कि कैसे दूर की आकाशगंगाओं के द्वारा उत्सर्जित किए गए प्रकाश की तरंग दैर्ध्य (वेवलेंथ) अंतरिक्ष में यात्रा करते समय विद्युत-चुम्बकीय वर्णक्रम (electromagnetic spectrum) के लाल रंग के अंत की दिशा की तरफ शिफ्ट हो जाती है. हबल ने यह निर्धारित किया की ऐसा इस वजह से होता हैं क्योंकि ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा हैं. अभी हाल की खोजो से यह पता लगा हैं की ब्रह्माण्ड के फैलने की गति accelerate हो रही हैं.
खाली जगह के पास संयुक्त ब्रह्माण्ड में मौजूद सभी चीज़ों की तुलना में ज्यादा अधिक ऊर्जा है. हमारे पास श्याम ऊर्जा क्या हो सकती है इसके बारे में कई विचार हैं. एक विचार ऐसा हैं की श्याम उर्जा कोई वस्तु नहीं हैं बल्कि वह अंतरिक्ष की एक संपत्ति हैं. खाली जगह nothing (कुछ नहीं) नहीं हैं, उसके पास अपनी खुद की उर्जा हैं. यह अधिक space उत्पन्न करती हैं और काफी सक्रिय है. तो जैसे जैसे ब्रह्माण्ड का विस्तार होता हैं तब दो आकाशगंगाओं के बिच अधिक और अधिक खाली जगह उत्पन्न होती रहती हैं. उनके बिच का अंतर बढ़ता ही जाता हैं और जो ब्रह्माण्ड के विस्तार को तेजी की तरफ ले जाता हैं. यह विचार, आइंस्टीन के द्वारा 1917 में दीये गए सिद्धांत “ब्रह्माण्ड विज्ञान के स्थिरांक की अवधारणा (concept of a cosmologyical constant)” से काफी मेल खाता हैं. एक बल जो गुरुत्वाकर्षण बल के साथ प्रतिक्रिया करता हैं या उसे थाम लेता हैं.
समस्या केवल यह है की, जब हमने इस ऊर्जा की राशि की गणना करने की कोशिश की तब इसका परिणाम एकदम गलत और अजीब था. इसलिए इस विचार से केवल कंफ्यूजन ही पैदा होता हैं.
एक विचार यह हैं की, यह खाली जगह वास्तव में अस्थायी और आभासी कणों से भरी हुई हैं. यह कण स्वतः और लगातार nothing (कुछ नहीं) से उत्पन्न होते हैं और वापस nothing में गायब हो जाते हैं. इन कणों में स्थित उर्जा श्याम उर्जा या डार्क एनर्जी हो सकती हैं. या फिर हो सकता हैं, यह श्याम उर्जा एक अज्ञात प्रकार का गतिशील ऊर्जा तरल हो या फिर एक ऐसा क्षेत्र जो पुरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त हैं.
लेकिन अगर यह ब्रह्माण्ड में मौजूद हैं तो हम नहीं जानते की इसका पता कैसे और कहा लगाया जाए. मतलब की हमारे पास अभी बहुत सारे ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब मिलना अभी बाकी हैं. डार्क मेटर और डार्क एनर्जी के बारे में हमारे पास जितने भी सिद्धांत हैं वे सभी अभी तक सिद्धांत ही हैं.
Dark Matter and Dark Energy डार्क मेटर - श्याम पदार्थ
वास्तव में हमारे पास ऐसा कोई भी सुराग नहीं हैं की जिससे हम जान सके की डार्क मेटर और डार्क एनर्जी आखिर हैं क्या? और वह काम कैसे करते हैं? श्याम पदार्थ एक ऐसी सामग्री हैं जो ब्रह्माण्ड में आकाशगंगाओं का अस्तित्व बनाए रखता हैं. जब हम इस बात की गणना करते हैं की ब्रह्माण्ड आखिर ऐसा क्यों हैं जैसा वह वास्तव में हैं, तब यह जल्दी से स्पष्ट हो जाता हैं की ब्रह्माण्ड में पर्याप्त मात्रा में पदार्थ नहीं हैं. यहाँ पर प्रत्यक्ष पदार्थ का गुरुत्वाकर्षण आकाशगंगाए और अन्य जटिल संरचनाए बनाने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं है. अगर वह मजबूत होता आकाशगंगाओं की जगह सारे ब्रह्माण्ड में सभी जगह पर तारे बिखरे होते, उनके जुंड नहीं. ब्रह्माण्ड में कुछ ऐसा हैं जो प्रकाश को उत्सर्जित या प्रतिबिंबित नहीं करता हैं. कुछ अंधकार मय. लेकिन श्याम पदार्थ के अस्तित्व की गणना करने में सक्षम होने के अलावा हम उसे एक प्रकार से देख सकते हैं. उच्च सकेन्द्रण वाले स्थानों पर श्याम पदार्थ उसके पास से गुजर रहे प्रकाश को मोड़ देता हैं. इसका मतलब वहां पर कुछ मौजूद हैं जो गुरुत्वाकर्षण के साथ क्रिया-प्रतिक्रिया करता हैं.हम जानते हैं की श्याम पदार्थ केवल बिना सितारों वाला एक बादल नहीं हैं, क्योंकि वह किसी प्रकार के कणों का उत्सर्जन करता हैं जिनके बारे में हम पता लगा सकते हैं. श्याम पदार्थ एंटीमेटर भी नहीं हैं, क्योंकि एंटीमेटर सामान्य पदार्थ के साथ प्रतिक्रिया कर के अनूठे प्रकार के गामा किरणों का उत्पादन करता हैं. डार्क मेटर ब्लैक होल से भी नहीं बना हैं, क्योंकि यह श्याम पदार्थ हर जगह पर बिखरा हुआ होता हैं.
अधिकांश, हम तिन बातें निश्चित तौर पर जानते हैं,
1). वहां पर कुछ तो हैं.
2). वह गुरुत्वाकर्षण के साथ क्रिया-प्रतिक्रिया करता हैं.
3). वह बहुत सारा हैं.
डार्क मेटर शायद एक जटिल और अनोखे कण से बना है, जो किसी भी तरह के पदार्थ और प्रकाश के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता हैं. लेकिन इसके बारे में हम अभी पक्के तौर पर नहीं जानते हैं.
डार्क एनर्जी (श्याम ऊर्जा) और भी अजीब और रहस्यमयी है. हम ना ही इसका पता लगा सकते हैं, ना ही इसको माप सकते हैं और ना ही इसको टेस्ट कर सकते हैं. लेकिन हम बहुत ही स्पष्ट रूप से इसके प्रभाव देख सकते हैं. 1929 में, एडवर्ड हबल ने जांच की कि कैसे दूर की आकाशगंगाओं के द्वारा उत्सर्जित किए गए प्रकाश की तरंग दैर्ध्य (वेवलेंथ) अंतरिक्ष में यात्रा करते समय विद्युत-चुम्बकीय वर्णक्रम (electromagnetic spectrum) के लाल रंग के अंत की दिशा की तरफ शिफ्ट हो जाती है. हबल ने यह निर्धारित किया की ऐसा इस वजह से होता हैं क्योंकि ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा हैं. अभी हाल की खोजो से यह पता लगा हैं की ब्रह्माण्ड के फैलने की गति accelerate हो रही हैं.
डार्क एनर्जी – श्याम उर्जा
इसके पहले ऐसा सोचा गया था की गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव या तो ब्रह्माण्ड के विस्तार को धीमा कर देंगा या फिर पूरा ब्रह्माण्ड वापस खुद के ही अन्दर किसी एक बिन्दु में ढह जाएंगा. अंतरिक्ष फैलने के साथ कभी अपने गुण नहीं बदलता हैं. नयी space लगातार बनती जा रही हैं. आकाशगंगाए गुरुत्वाकर्षण के द्वारा समूहों में कस ली गई हैं, इसलिए हम हमारे दैनिक जीवन में इस होनेवाले विस्तार का अनुभव नहीं कर पाते. लेकिन हम हमारे आसपास हर जगह इसे देखते हैं. ब्रह्माण्ड में जहाँ जहाँ खाली जगह हैं, वहां हर सेकंड अन्य रचनाए हो रही हैं. ऐसा प्रतीत हो रहा है की श्याम उर्जा कुछ इस तरह की उर्जा हैं जो खाली जगह के अंतर्भूत हो सकती हैं.खाली जगह के पास संयुक्त ब्रह्माण्ड में मौजूद सभी चीज़ों की तुलना में ज्यादा अधिक ऊर्जा है. हमारे पास श्याम ऊर्जा क्या हो सकती है इसके बारे में कई विचार हैं. एक विचार ऐसा हैं की श्याम उर्जा कोई वस्तु नहीं हैं बल्कि वह अंतरिक्ष की एक संपत्ति हैं. खाली जगह nothing (कुछ नहीं) नहीं हैं, उसके पास अपनी खुद की उर्जा हैं. यह अधिक space उत्पन्न करती हैं और काफी सक्रिय है. तो जैसे जैसे ब्रह्माण्ड का विस्तार होता हैं तब दो आकाशगंगाओं के बिच अधिक और अधिक खाली जगह उत्पन्न होती रहती हैं. उनके बिच का अंतर बढ़ता ही जाता हैं और जो ब्रह्माण्ड के विस्तार को तेजी की तरफ ले जाता हैं. यह विचार, आइंस्टीन के द्वारा 1917 में दीये गए सिद्धांत “ब्रह्माण्ड विज्ञान के स्थिरांक की अवधारणा (concept of a cosmologyical constant)” से काफी मेल खाता हैं. एक बल जो गुरुत्वाकर्षण बल के साथ प्रतिक्रिया करता हैं या उसे थाम लेता हैं.
समस्या केवल यह है की, जब हमने इस ऊर्जा की राशि की गणना करने की कोशिश की तब इसका परिणाम एकदम गलत और अजीब था. इसलिए इस विचार से केवल कंफ्यूजन ही पैदा होता हैं.
एक विचार यह हैं की, यह खाली जगह वास्तव में अस्थायी और आभासी कणों से भरी हुई हैं. यह कण स्वतः और लगातार nothing (कुछ नहीं) से उत्पन्न होते हैं और वापस nothing में गायब हो जाते हैं. इन कणों में स्थित उर्जा श्याम उर्जा या डार्क एनर्जी हो सकती हैं. या फिर हो सकता हैं, यह श्याम उर्जा एक अज्ञात प्रकार का गतिशील ऊर्जा तरल हो या फिर एक ऐसा क्षेत्र जो पुरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त हैं.
लेकिन अगर यह ब्रह्माण्ड में मौजूद हैं तो हम नहीं जानते की इसका पता कैसे और कहा लगाया जाए. मतलब की हमारे पास अभी बहुत सारे ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब मिलना अभी बाकी हैं. डार्क मेटर और डार्क एनर्जी के बारे में हमारे पास जितने भी सिद्धांत हैं वे सभी अभी तक सिद्धांत ही हैं.